ओह थैंक्यू मिस्टर स्वाइन फ्लू, तुम फिर जीत गये।
(गुना नन्द जखमोला)
– मुन्नी देवी को स्वाइन फ्लू की चुनौती
– जीतराम गम न करो, स्वाइन फ्लू को कोसो
थराली विधानसभा उपचुनाव में न कांग्रेस हारी, न भाजपा जीती। स्वाइन फ्लू जीत गया। विधायक मगनलाल शाह की मौत का जिम्मेदार स्वाइन फ्लू रूपी सरकार थी। मगनलाल शाह को समय पर इलाज नहीं मिला। न उन्हें लक्षण पता थे न प्रदेश में लैब टेस्ट की सुविधा थी। श्रीनगर से लेकर दून अस्पताल तक आज भी स्वाइन फ्लू के टेस्ट की सुविधा नहीं है। महंत इंद्रेश में एनसीडीसी लैब टेस्ट की सुविधा है लेकिन इगो के चलते दूसरे अस्पताल वहां सैंपल नहीं भेजते।
सरकार को भी लोगों की चिन्ता क्यों होने लगी, जबकि एक मच्छर या स्वाइन फ्लू सरकार पर भारी पड़ जाता है। स्वाइन फ्लू से विधायक की मौत हो गई, कोई हंगामा नहीं हुआ। सबने स्वाइन फ्लू को कैंसर समझ लिया। सरकार ने अब तक स्वाइन फ्लू टेस्ट की लैब भी नहीं लगाई, सिम्पैथी लैब लगा दी और उपचुनाव में मृतक विधायक की पत्नी मुन्नी देवी को टिकट दे दिया। मुन्नी देवी पति की जगह विधायक बन गयी, और स्वाइन फ्लू जीत गया। लोग स्वाइन फ्लू को भूल गये और मुन्नी को धड़ाधड़ वोट दिये। मुन्नी भी अब पति के सपने को साकार करने की बात कर रही है। क्या सपना था मगनलाल शाह का? एनसीडीसी की लैब टेस्ट की सुविधा उत्तराखंड मेेेे भी हो, शायद यही। जी, मुन्नी देवी जी, आप कम से कम मगनलाल शाह के इस सपने को अगले चार सालों में साकार कर सकें तो मेहरबानी। वरना सरकार तो स्वाइन फ्लू को ईश्वरीय वरदान मान अपनी जीत का सबब मानती रहेगी और लोग मरते रहेेेेगे। और रही बात जीतराम की, तो वो कांग्रेस में हैं, कांग्रेस को डेंगू का डंक है और वो इस डर से एकजुट नहीं हो रहे हैं कि कहीं डेंगू उन तक न फैल जाएं। इसलिए जीतराम जी आप तो डाक्टर हैं, थराली में भी बहुत कुछ कमा लिया तो हार का गम मत करना, बस स्वाइन फ्लू को जरूर कोसना।