Friday, March 14, 2025
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एबीवीपी छात्र संघ अध्यक्ष उम्मीदवार तरुण! कुछ बात तो है इस छात्र नेता में!

(मनोज इष्टवाल)

कई बार जब अपना नम्बर आता है या अपना कोई चुनाव में खड़ा हो तो उस पर कलम चलाते हुए हिचक महसूस होती है! शायद वह इसलिए कि पत्रकारिता में यह ऐसा समय है जहाँ उसकी हर स्टेज पर अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है! जिसका मन चाहे जब चाहे जो चाहे वह खुलेमन से सोशल मीडिया पर किसी के भी कपड़े फाड़ देता है! ऐसे में अपनी व कलम की गरिमा बनाए रखने के लिए अपने व्यवसाय की ईमानदारी पर प्रश्नचिह्न न लगे उसकी भरपूर कोशिश करता हूँ!

तरुण इष्टवाल….! मूल गाँव विकासखंड एकेश्वर पट्टी मवालस्यूं ग्राम -नौखंडी, जिला – पौड़ी गढ़वाल! हाल निवास या जन्म से ही निवास कहें तो कोटद्वार भावर क्षेत्र! मैंने इन्हें बचपन में देखा भी है कि नहीं! याद नहीं है लेकिन इतनी उत्सुकता तो थी ही कि मेरे बाद इष्टवाल खानदान के ये तीसरे या चौथे व्यक्ति होंगे जिन्होंने छात्र राजनीति की हो या छात्र संघ के चुनाव लडे हों! कल कोटद्वार इसीलिए गया था कि जाकर देखूं तो किस विचारधारा व किस मापदंड से यह छात्र नेता बनने जा रहा है?

मालवीय उद्यान कोटद्वार स्थित एबीवीपी के चुनावी कार्यालय के बाहर घंटों खड़ा रहा ! सोचा यहाँ आयेगा तो मिल लूंगा लेकिन वह डोर टू डोर कम्पैनिंग में ब्यस्त था इसलिए मुलाक़ात नहीं हुई! तरुण की जगह वरुण इष्टवाल अवश्य मिला! पसीने से तर्र-बत्तर कुर्ता! कुरते पर कहीं कहीं फूल मालाओं के पीले लाल निशान! मैंने ही उसे पहचाना..! क्योंकि विगत बर्ष इन दोनों भाईयों को अपने एक बीमार अध्यापक के इलाज के लिए डोनेशन इकट्ठा करते देखा था! वह फोटो अखबार में भी छपी थी व मैंने भी उस पर खबर बनाई थी! तब गर्व महसूस हुआ था कि कोई तो है जो इष्टवाल जाति का मान बढाने का यत्न कर रहा है!

वरुण को मैंने कहा- अरे सुनो, आप पहचानते हैं मुझे! बेचारा वरुण…चुनावी माहौल में एकदम चुनावी हो रखा था! हाथ जोड़ता हुआ बोला- नमस्ते! फिर अटकती आवाज में बोला- शायद मनोज ताऊ जी! मैंने सिर हिलाया और कहा – सही पहचाने! वह थोड़ा और झुका और बोला- पापा से आपका जिक्र सूना है और आपके खूब अपडेट भी देखता हूँ! ताऊ जी, आपको तो कोटद्वार में भी कई पहचानते हैं! फिर एक सफेद कार की तरफ इशारा करता हुआ बोला- देखिये ताऊ जी, वह कार है न उसमें ……नौटियाल बैठा है! इसका छात्र चुनाव से कोई लेना देना नहीं लेकिन लड़ने घर पहुंच गया था! अभी भी वह लड़ने के बहाने ढूंढ रहा है! हमें नहीं पता कि इसके पीछे उसका क्या मकसद है! फिर उसी भोलेपन से बोला- क्या राजनीति…करना गुनाह है ताऊ जी! छात्रों के हितों की ईमानदारी से पैरवी करना गलत है? फिर ये ऐसा क्यों चाहते हैं कि हम उनसे टकराव रखें! तरुण छात्रों के हित की लड़ाई हेतु छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहा है! कई हमारे मित्र उग्र भी होते हैं! मैं व मेरे मित्र उन्हें समझा देते हैं कि हम अनुशासन के तहत चुनाव लड़ेंगे व उसी के आधार पर खुद को साबित करेंगे! चुनाव लड़ना, जीतना, हारना ये सब ठीक पढ़ाई की तरह ही तो है! कोई सफल हुआ कोई असफल हुआ! फिर आपसी द्वेष किस बात का..! मैं सिर्फ उसकी बातें सुनकर सिर हिलाता हुआ हामी भरता रहा! फिर बोला- अच्छा ताऊ जी, जरा हमें अर्जेंट कहीं जाना है, आप घर जाकर पापा से जरुर मिलिए! सुना है आप पहले बहुत आते थे घर..!

वह मोटरसाइकिल में बैठा और अपने दोस्त के साथ निकल गया! मैं उसके संयम, धैर्य व सोच का कायल हो गया! उग्रता बिलकुल नहीं! चेहरे के भोलेपन की तरह भोला लगा! मन हुआ मुझे अपने जितने सम्पर्क हैं उनसे यह तो तलाशना चाहिए कि तरुण इष्टवाल को आखिर एबीवीपी ने छात्र संघ अध्यक्ष की टिकट कैसे दी? कई कालेज की छात्राओं से बात की ! क्योंकि चुनाव पलटने का काम वही करती हैं ! न उन्हें रोज पार्टी चाहिए होती है न कोई अन्य लोभ! लगभग दो दर्जन छात्राओं से उनके घरों में मिला- चुनाव पर बात हुई! बोला- किसे जिता रही हो! लगभग 20 छात्रों का जबाब था तरुण और कौन? मैं मुस्कराया व बोला- इसलिए क्योंकि मैं भी इष्टवाल हूँ! जबाब यही मिलता- नहीं अंकल! इसलिए कि वह एक अच्छा लड़का है! मैं बोला- अच्छा मतलब..? उनका जबाब लगभग एक सा होता! वह छात्र राजनीति तो कर रहा है लेकिन उसमें हम सबके लिए एक सा आदर दिखाई देता है! मतलब वह गुंडा लफंगा नहीं है इसलिए!

लड़कों से भी बात हुई! कुछ पूर्व छात्रों व छात्रनेताओं से भी! कुछ ने कहा – यार लड़का अच्छा है शायद इसीलिए उसे हारने के लिए कुछ भाजपा के कुछ छुटभैय्या नेता कमर कसे हुए हैं व उसकी जगह “जय हो” ग्रुप को सपोर्ट कर रहे हैं! ये क्यों एबीवीपी को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं इस पर खुद संगठन को गोपनीय जांच कर इन पर कार्यवाही करनी चाहिए क्योंकि इन्हें जरा भी शर्म नहीं है कि भाजपा संगठन की रीड कहा जाने वाला एबीवीपी इनकी कारगुजारी से कितना कमजोर हो जाएगा! कुछ कांग्रेस माइंडेड पूर्व छात्र नेता बोले- इष्टवाल, बुरा मत मानना यार! लेकिन हमारे लिए तो यह अच्छी बात है! इस धड़ेबंदी से हमारा कंडीडेट जीतेगा देख लेना!

सारे विचार सुनने के बाद यह गर्व तो हुआ कि जिस तरुण ने यहाँ भाजपा के विद्रोही मानसिकता वाले सो काल्ड शहरी नेताओं का सोना खाना हराम किया हुआ है वह सचमुच यहाँ लाइमलाइट में है! हार जीत अपनी जगह होगी यह तो वक्त पर निर्भर करता है या आज के युवाओं पर..जिन्होंने कल देश का भविष्य संवारना है लेकिन इतना तो जरुर है कि तरुण की वजह से छात्रों का हुजूम एकजुट होकर जिस तरह तरुण इष्टवाल को जिताने के लिए उमड़ा है वह इन छोटे शहरी नेताओं की नींद हराम किये हुए है!

(मैं माफ़ी चाहूँगा कि मैं अन्य पार्टी के छात्र नेता व एबीवीपी के अन्य छात्र नेताओं पर अपना लेख फोकस नहीं कर पाया क्योंकि तब मेरे दिमाग में सिर्फ तरुण था! हो सकता है यह मेरा व्यक्तिगत प्यार या स्वार्थ रहा हो! एबीवीपी की पूरी टीम को अग्रिम शुभकामनाएं)

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