लखनऊ 4 मई 2020 (हि. डिस्कवर)
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सबसे करीबी कहे जाने प्रदेश के अपर मुख्य सचिव का नाता जैसे इस सरकार में विवादों से ही रहा हो। उनके कई फैसले अक्सर मुख्यमंत्री के गले की फांस बनते नजर आए हैं लेकिन जाने ऐसा क्या है कि मुख्यमंत्री उन्हें अभयदान देकर सारा बिष खुद ही गटक जाते हैं।
लखनऊ सरकार को जब पता चला कि अंदरखाने एक विधायक बिना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में लाये उनके पिताजी की अस्थियों की बात कैश करवाकर बद्रीनाथ केदारनाथ यात्रा पर अपने लाव लश्कर के साथ निकल चुके थे , यह बात संज्ञान में आते ही सचिवालय प्रशासन के हाथ पांव फूल गए । सूत्र बताते हैं कि योगी ने इस बात को बेहद गम्भीरता से लिया है और जांच बिठा दी है।
सच भी है कि मुख्यमंत्री कोरोंता महामारी से उत्तर प्रदेश के हालात देखकर अपने पिता के अंतिम दर्शन तक करने नहीं पहुंच पाए तो क्या वह किसी विधायक को अस्थि कलश के विसर्जन के लिए बद्रीनाथ भेजते जहां लॉकडाउन के चलते बद्रीनाथ के रावल भी14 दिन के लिए क्वारनटाइन किये गए हैं। अब ऐसे में अगर एक अपर मुख्य सचिव देश के प्रधानमंत्री की आज्ञाओं का उल्लंघन कर एक विधायक को बद्रीनाथ जाने का पत्र थमा देता है और मामला प्रकाश में आने के बाद किसी समाचार चैनल में अपने पर आई बात डीएम देहरादून पर थोपने की कोशिश करता है तब आप क्या कहेंगे।
इसी सब के मध्यनजर लखनऊ स्थित एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने अमनमणि त्रिपाठी को अनुमति दिए जाने के मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।
गृह मंत्रालय एवं डीओपीटी, भारत सरकार को भेजी शिकायत में नूतन ने कहा है कि जहाँ पूरे देश में एक ओर अत्यंत आवश्यक कार्यों से ही अनुमति प्रदान की जा रही है, वहीँ ओमप्रकाश के पत्र में दर्शाया गया अमनमणि त्रिपाठी का काम किसी तरह अपरिहार्य काम नहीं था। इसके बाद भी ओम प्रकाश ने अमनमणि के साथ 11 तथा 3 वाहन को देहरादून से श्रीनगर, बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि जाने की अनुमति देने के निर्देश दिए, जो लॉकडाउन कानून का स्पष्ट उल्लंघन है।
डॉ नूतन ने ओमप्रकाश के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने तथा प्रशासनिक कार्यवाही किये जाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश के जिन अफसरों की भूमिका पायी जाती है, उनके खिलाफ भी कार्यवाही की मांग की है।