(मनोज इष्टवाल)
17 वीं लोकसभा का प्रथम चरण का चुनाव 20 राज्यों में 91 सीटों पर दो दिन बाद यानि 11 अप्रैल को होना है और इन्हीं 20 राज्यों में उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर भी चुनाव होना है! मात्र दो दिन बाद चुनाव के प्रचार प्रसार की सरगर्मियों में दोनों पार्टियों ने अपना सर्वस्व झोंके रखा! लेकिन कांग्रेस के घोषणा-पत्र ने कुछ मुद्दों पर फिर से वे मतदाता अपने से दूर छिटका दिए जो पूर्व में भारी नाराजगी के बाद भी इस बार फिर से कांग्रेस के पक्ष में खड़े नजर आ रहे थे! प्रथम दौर में कांग्रेस ने प्रदेश भर में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी जबकि भाजपा अति-उत्साह में दिखाई दे रही थी लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा ने अपनी भूल सुधारी व जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव के समीकरण बदल डाले!
आपको जानकारी दे दें कि 17वीं लोकसभा के गठन के लिए 90 करोड़ लोग वोट डालेंगे. 18 से 19 साल के डेढ़ करोड़ वोटर इस चुनाव में पहली बार हिस्सा लेंगे! मुख्य चुनाव आयुक्त के मुताबिक आठ करोड़ 43 लाख नए मतदाता इस बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे! पूरे देश में सात चरणों में चुनाव होने हैं जिनमें प्रथम चरण में 20 राज्यों में 91 सीटों पर दो दिन बाद यानि 11 अप्रैल को, द्वितीय चरण में 13 राज्य 97 सीट पर 18 अप्रैल, तृतीय चरण में 14 राज्य 113 सीट 23 अप्रैल, चतुर्थ चरण में 9 राज्य 71 सीट 29 अप्रैल,पंचम चरण में 7 राज्य 51 सीट 6 मई, छटे चरण 7 राज्य 59 सीट 12 मई व 8 राज्य 59 सीट पर 19 मई को सातवाँ व अंतिम चरण का मतदान होगा, 23 मई तक सभी चुनावों के परिणाम घोषित होंगे!
यदि उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों का आंकलन किया जाय तब यह तस्वीर साफ़ होती है कि भाजपा फिलहाल कांग्रेस को मतदाताओं के रुझान के अनुसार शिकस्त देती नजर आ रही है! कई जन सभाओं में कांग्रेस ने काफी भीड़ भी जुटाई और लोगों ने कांग्रेस के उम्मीदवारों पर भी विश्वास जताया लेकिन जैसे ही कांग्रेस के घोषणा पत्र में देश द्रोह क़ानून हटाने सहित कश्मीर मुद्दा व सैनिकों से जुड़े मुद्दों की बात भाजपा सामने लाई आम उत्तराखंडी ने फिर से कांग्रेस से दूरियां बनानी शुरू कर दी!
पौड़ी लोकसभा सीट की अगर बात की जाय तब वहां कांग्रेस ने पूरी जद्दोजहद के तहत मनीष खंडूरी पर दांव खेला क्योंकि कांग्रेस सोच रही थी कि पुत्र मोह में जनरल खंडूरी जरुर कांग्रेस में शामिल होंगे लेकिन खंडूरी ने अपना राजधर्म नहीं छोड़ा इस से दो बातें जनरल खंडूरी के पक्ष में रही और वह दो बातें यह रही कि एक तो वे अपनी पुरानी साख बनाने में कामयाब रहे दूसरा पार्टी का भरोंसा जो भी रहा हो वे आम उत्तराखंडी के भरोंसे पर खरे उतरे! भले ही मनीष खंडूरी हर जगह यह गाते रहे कि उनके पिताजी का उनके साथ आशीर्वाद है लेकिन एक बार भी जनरल खंडूरी के परम शिष्य रहे भाजपा प्रत्याक्षी तीरथ सिंह रावत ने जनरल खंडूरी पर अपना विश्वास नहीं खोया! तीरथ सिंह रावत के यहाँ से चुनाव जीतने के पीछे पार्टी की एक जुटता के अलावा एक ओर भगत सिंह कोश्यारी की चमोली क्षेत्र में दौरे, डॉ. हरक सिंह के दौरे व ऐन समय में सतपाल महाराज द्वारा चुनावी प्रचार में तीरथ सिंह रावत के लिए मैदान में उतरना भी अहम रहा है जिससे गढवाल लोकसभा सीट पर तीरथ सिंह रावत के जीतने की पूरी-पूरी उम्मीदें हैं! यहाँ कांटे की टक्कर तो नहीं है लेकिन मनीष के लोकसभा प्रत्याक्षी बनाए जाने के बाद यह तो तय रहा कि जीत का अंतर थोड़ा बहुत कम रह सकता है!
टिहरी लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याक्षी महारानी राजेलक्ष्मी से लोग कम नाराज दिखे बल्कि ज्यादा पार्टी से नाराज दिखे ! इस सीट के लोगों का कहना था कि भाजपा उन पर जानबूझकर राजशाही थोप देती रही है लेकिन यह दुष्प्रचार कांग्रेस द्वारा फैलाया गया है ऐसा मानना भाजपा पार्टी पॉलिटिक्स का है व आमजन में से लगभग 80 प्रतिशत लोगों की धारणा भी यही रही है कि यह तो सच है कि आम ब्यक्ति महारानी तक नहीं पहुँच पाता या महारानी आम लोगों को समय नहीं दे पाती लेकिन वे केंद्र में मोदी को पुनः प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं! इस क्षेत्र में कांग्रेस के लोक सभा प्रत्याक्षी प्रीतम सिंह टोंस यमुना घाटी हो या फिर रुपिन सुपिन घाटी में बढ़त बढाते नजर आये! ऐन समय पर आरएसएस के मैदान में कूदने से पुनः भाजपा का पलड़ा भारी होता नजर आ रहा है! निर्दलीय प्रत्याक्षी के रूप में गोपालमणि महाराज कुछ ख़ास चमत्कार नहीं दिखा पाए और न ही वह वोट बैंक ही अपने पक्ष में कर पायें हैं ! लेकिन इतना जरुर है कि भाजपा को यह सीट बहुत कम अंतर से मिल रही है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देहरादून में चुनावी सभा के बाद टिहरी सीट व पौड़ी सीट पर भाजपा यूँ भी चुनावी समीकरण में कांग्रेस से काफी आगे निकल चुकी है! भले ही राहुल भी इस से पूर्व यहाँ चुनावी सभा कर चुके हैं और बहुत भीड़ भी जुटा सकें हैं लेकिन ये पब्लिक है बहुत जल्दी सब भूल जाती है!
हरिद्वार लोकसभा सीट पर पहले कांग्रेस व अन्य दल भी यह मान चुके थे कि यह बिलकुल एक तरफा भाजपा के चतुर राजनीतिज्ञ डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के खाते में है लेकिन ज्यों ज्यों चुनाव तेजी पर आता गया यहाँ भाजपा के लिए आसान दिखने वाली चुनौती कठिन होती रही! भाजपा को यहाँ फायदा यह हो रहा है कि वोटों का धुर्वीकरण उन्हें जिता रहा है क्योंकि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए कांग्रेस प्रत्याक्षी से पहले पार्टी यह उम्मीद लगाए बैठी थी कि बसपा व कांग्रेस दोनों की ही वोट उन्हें पड़ेंगी लेकिन बसपा उम्मीदवार के खड़े होने से यहाँ के त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के डॉ. निशंक अच्छे खासे मतों से जीत दर्ज करते नजर आ रहे हैं! भले ही इस सीट पर अंतर्घात के भी ज्यादा चांस दिखाई दे रहे हैं!
नैनीताल सीट पर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अजय भट्ट व कांग्रेस के उम्मीदवार व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच कांटे की टक्कर नजर आ रही है! कभी भाजपा आगे तो कभी कांग्रेस आगे होती नजर आ रही है लेकिन यहाँ भी दोनों पार्टियों के प्रत्याक्षियों को अगर अपनी जीत में कहीं कोई शंका नजर आ रही है तो वह है भीतरघात या अंतर्घात की! क्योंकि दोनों ही दलों में दोनों प्रत्याक्षियों के अंदरूनी राजनैतिक प्रतिस्पर्दा की दुश्मनी जग जाहिर है इसलिए दोनों ही यहाँ बेहद फूंक-फूंक कर चल रहे हैं! प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद यहाँ भाजपा के प्रति लोगों का रुझान बहुत बढ़ा है ऐसा यहाँ के मतदाताओं का मानना है! ऊपर से हरीश रावत जैसे राजनीतिज्ञ के मुस्लिम प्रेम से राजनीतिक समीकरण उनके पहाड़ विरोधी होने के बताये जा रहे हैं! राज्य बनने के बाद हल्द्वानी में आ बसे कुमाऊं के विभिन्न पहाड़ी जिलों के मतदाता कांग्रेस के लिए इस सीट पर मुसीबत बन सकते हैं! यहाँ कांटे की टक्कर है लेकिन पलड़ा बीजेपी का ही ऊपर नजर आ रहा है!
पांचवी लोकसभा सीट अल्मोड़ा पर भाजपा उम्मीदवार अजय टम्टा व कांग्रेसी उम्मीदवार प्रदीप टम्टा के बीच भी कांटे की टक्कर कही जा रही है ! कांग्रेसी उम्मीदवार प्रदीप टम्टा को यहाँ का जनमानस विद्वान् व्यक्तित्व का धनि बताते हैं लेकिन भाजपा के उमीदवार अजय टम्टा को सरल व ज्यादा व्यवहारिक बताते हैं! यहाँ भाजपा चुनावी प्रचारके प्रथम चरण में बहुत आगे दिखाई दे रही थी लेकिन मध्यम चरण में आते आते भाजपा में हुई टूट से यहाँ भाजपा कमजोर हुई और अंतिम चरण तक पहुँचते पहुँचते आरएसएस की टीमों ने फिर से उसे मुकाबले में खड़ा कर दिया! पार्टी कार्यकर्ताओं व संघ परिवार की मेहनत ने फिर से इस सीट को मुकाबले पर ला खड़ा कर दिया है और यह कहा जा सकता है कि भाजपा यहाँ भी बाजी मार ले जायेगी लेकिन संशय नैनीताल व अल्मोड़ा सीट पर नेक टू नेक बना हुआ है यहाँ जो भी दल जीतते हैं वह कम अंतर से जीतेंगे! फिर भी राजनीतिक गणितज्ञों का मानना है कि भाजपा उत्तराखंड में पाँचों सीटों को जीत रही है!
प्रदेश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं ने जहाँ भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं में एक जुटता लाई है वहीँ रूठे नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की युक्ति पर आरएसएस ने अच्छी भागीदारी निभाई है! दूसरी ओर कांग्रेस के संगठन की डांवाडोल स्थिति ने कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं की एकजुटता पर काम नहीं किया वरना परिणाम कुछ और ही हो सकते ही हो सकते थे! यहाँ पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता व्यक्तियों में बंटे नजर आये जो एक समय की बिशाल पार्टी के लिए चिंता जनक है!
भाजपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नरेश बंसल का कहना है कि मतदाताओं का अंतर्मन राष्ट्र व राष्ट्रप्रेम के लिए लवरेज है! उन्हें देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की विचारधारा पर पूरा विश्वास है और यही कारण है कि सिर्फ प्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश में इस बार भी भाजपा विशाल बहुमत के साथ सरकार बनाएगी और फिर से जनता को एक ऐसी सरकार देगी जो देश के चहुमुखी विकास में अपना सर्वस्व देते हुए विश्व भर में अपना परचम लहराएगी! सच भी यही है कि इस चुनाव में प्रचार प्रसार के दौरान जहाँ दोनों पार्टी के नेताओं ने जनता के बीच अपनी उपस्थिति अपने मुद्दों व वर्तमान मुद्दों के साथ दर्ज की वहीँ अपनी जुबान की फिसलन व शब्दों की गरिमा को कांग्रेसी दिग्गज ज्यादा भूलते दिखाई दिए जो जनता के पास एक अच्छे संदेश को दर्ज करवाने में नाकामयाब रहे!
प्रधानमन्त्री मोदी जनता के मिजाज से भली भाँती परिचित हैं वे बार-बार हर चुनावी सभा में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की बात ताजा करते दिखाई दिए ताकि भुलक्कड़ जनता को सनद रहे कि इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेसी नेताओं के क्या बयान आये व जनता में इस घटना पर क्या उबाल था! यहाँ सचमुच राजनीति कूटनीति में भाजपा कांग्रेसी पर भारी रही!यही कारण भी हैं कि इन पाँचों सीटों पर भाजपा अपनी जीत सुनिश्चित समझ रही है!