Tuesday, October 21, 2025
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आजतक ने लिखा- कौन हैं अनिल बलूनी? जिन्हें अलॉट किया गया है प्रियंका गांधी का बंगला ।

नई दिल्ली (हि. डिस्कवर)

एक ओर जहां भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रवक्ता व राज्यसभा सांसद तेजी से कैंसर की बीमारी से उभरकर अपना कार्यभार देखना शुरू कर चुके हैं वहीं दूसरी ओर उन्हें लोधी एस्टेट में अलॉट हुआ नया बंगला भी सुर्खियों व चर्चाओं में आ गया है जिसे राष्ट्रीय मीडिया ने खूब सुर्खियां दी हैं। देश के जाने माने मीडिया घराने आजतक ने लिखा है कि -मोदी सरकार ने प्रियंका गांधी को नोटिस जारी कर एक अगस्त तक 6-बी हाउस नंबर- 35 लोधी एस्टेट के सरकारी बंगले को खाली करने का आदेश दे रखा है। अब इस बंगले को बीजेपी के राज्यसभा सदस्य और पार्टी के मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी के नाम पर आवंटित किया गया है। इसके चलते एक बार फिर बलूनी चर्चा के केंद्र में हैं।


अनिल बलूनी ने उत्तराखंड के जंगलों में सियासत के गुर सीखे हैं। वह अच्छी तरह जानते हैं कि मंजिल तक कैसे पहुंचा जाता है। बलूनी शांत और विचारों में मग्न रहने वाले नेताओं में शुमार किए जाते हैं। वह हर शब्द को नाप-तौल कर बोलने वाले आदमी हैं, चाहे सार्वजनिक तौर पर बोलना हो या निजी रूप से, जिसके चलते सामने वाले को कभी पता ही नहीं लगने देते किए सियासत के लिए धड़कने वाले उनके दिल में क्या छिपा है। इसी का नतीजा है कि कभी पत्रकार रहे अनिल बलूनी अब मोदी-शाह के करीबी लोगों में से हैं। राज्यसभा सांसद और भाजपा के मीडिया प्रकोष्ठ के प्रभारी हैं।

अनिल बलूनी का जन्म 2 सिंतबर 1972 उत्तराखंड के नकोट गांव (जिला पौड़ी) पट्टी- कंडवालस्यूं में हुआ है। बलूनी युवावस्था से राजनीति में सक्रिय रहे। भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री, निशंक सरकार में वन्यजीव बोर्ड में उपाध्यक्ष, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और फिर राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख बने. 26 साल की उम्र में सक्रिय चुनावी राजनीतिक में उतर आए और राज्य के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में कोटद्वार सीट से पर्चा भरा था, लेकिन उनका नामांकन पत्र निरस्त हो गया। इसके खिलाफ वे कोर्ट गए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2004 में कोटद्वार से उपचुनाव लड़ा, लेकिन हार गए थे। इसके बाद भी सक्रिय रहे।

हालांकि, पत्रकारिता की पढ़ाई के दौरान वह छात्र राजनीति में सक्रिय थे और दिल्ली में संघ परिवार के दफ्तरों के आसपास घूमते-रहते थे। संघ के जाने-माने नेता सुंदर सिंह भंडारी से उनकी नजदीकियां बढ़ीं। जब सुंदर सिंह भंडारी को बिहार का राज्यपाल बनाया गया तो वह बलूनी को अपना ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) बनाकर अपने साथ पटना ले गए। इसी के बाद सुंदर सिंह भंडारी को जब गुजरात के राज्यपाल बन कर आए तो बलूनी उनके ओएसडी थे और उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे।

अनिल बलूनी ने नरेंद्र मोदी के साथ मेलजोल बढ़ाना शुरू कर दिया और अगले कुछ सालों के भीतर वह मोदी के पसंदीदा लोगों में शामिल हो चुके थे। शाह के 2014 में अध्यक्ष बनने के बाद अनिल बलूनी को पार्टी प्रवक्ता और मीडिया प्रकोष्ठ का प्रमुख बनाया गया। एक तरह से वो अमित शाह के भी सबसे भरोसेमंद लोगों में शामिल हो गए हैं।

वह मीडिया संबंधी कार्यों को देखते हैं, शाह और मोदी के मीडिया संबंधी कार्यक्रमों का प्रबंधन करते हैं तथा दिन-प्रतिदिन के खबरों पर नजर रखते हैं और जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप भी करते हैं। पार्टी की छवि के खिलाफ कोई बात जाने पर वह स्थिति संभालने के लिए पार्टी प्रवक्ताओं या वरिष्ठ मंत्रियों को काम पर लगाते हैं। अनिल बलूनी पीएम मोदी और अमित शाह के करीब माने जाते हैं।

 

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