(मनोज इष्टवाल)
आप भी शायद मेरी तरह ही सोचते रहे होंगे कि आखिर किसी भी जीत को हासिल करने के बाद हम दो अंगुलियां तर्जनी व मध्यमा को खड़ी क्यों करते हैं जबकि अनामिका व कनिष्का को मोड़कर अंगूठे के सिरे से उनके दोनों नाखूनों को मध्य भाग में दबाकर एक विजयी चिह्न बना देते हैं जो स्वाभाविक सी परिक्रिया कहलाती है।
इस बार लोकसभा चुनावी विजय जलूस के बाद जब भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यही चिह्न अपनी अंगुलियों से बनाते देखा तो ब्यग्रता और प्रगाढ़ हो गयी। बस फिर क्या था ग्रन्थ किताबें सब टटोलनी शुरू कर दी। सब टोटलने के बाद भी जब कुछ नहीं मिला व कंधे की नसें दर्द करने लगी तो थोड़ी देर रिवाल्विंग चेयर पर आराममुद्रा में आंखे बंद कर बैठ गया। गर्दन की नसों का दर्द तब भी दूर नहीं हुआ तो लगा अनिंद्रा व ज्यादा वर्कलोड के साथ उम्र का तो कहीं कोई दोष नहीं हो गया। अचानक योग साधना सम्बन्धी एक पुस्तक याद आ गयी। सोचा उसी में वर्णित गोमुखासन कर लूं ताकि पीठ दर्द से निजात मिले। फिर सोचा देखता हूँ कि वह गोमुखासन ही है या कुछ और …! किताब के पन्ने पलटने शुरू कर दिये। फिर याद आया कि सर्वाइकल स्पंडिलाइटिस के लिए तो उष्ट्रासन करना पड़ता है।
अभी सोच ही रहा था कि खुद पर हंस दिया कि जिस किताब को मैं पिछले चार घण्टे से ढूंढ रहा हूँ वह यही तो है जिसमें हाथ व अंगुलियों की भाव भंगिमाओं का वर्णन है जो योग से सम्बंधित है। पन्ने पलटने शुरू किए तो विजय चिह्न बनाती मुद्रा की अंगुलियां दिखाई दी। इस मुद्रा योग को प्राण मुद्रा कहते हैं। अब सोचा कि पढ़ तो लूं कि इसे प्राण मुद्रा योग की भाषा कहा जाता है तो फिर किसी पर विजय प्राप्त करने के बाद यह मुद्रा अक्सर कैसे स्वाभाविक तौर पर बन जाती है।
आपको बता दूं कि इस मुद्रा से जीवन शक्ति में वृद्धि होती है। शिथिलता व थकान दूर होती है।आंखों का तेज बढ़ता है और ऐनक हटाने में मदद मिलती है। यह प्राण मुद्रा सचमुच चमत्कारिक है। चुनाव हों या खेल का मैदान जीत के बाद थकान मिटाने व शिथिलता दूर करने का भला इस से अच्छा साधन क्या हो सकता है। जब आप विजयी चिह्न बनाते हैं तब स्वाभाविक है कि आपकी अंदरूनी ऊर्जा का संचार आप में स्वाभाविकता हो जाता है और आप की जीवन शक्ति में वृद्धि होती है व चेहरे का ओज बढ़ जाता है।
बहरहाल मेरा तो यही मानना है कि हिन्दू धर्म ग्रन्थ की योगिक कला में हर बात का कोई न कोई अर्थ छुपा होता है, जिसे आधुनिक विज्ञान सिरे से नकार देता है उसके लिए यह प्राण योग किसी चुनौती से कम नहीं। आप भी आजमाए । मुझे लगता है हमें स्वास्थ्य लाभ अवश्य होगा।