Friday, November 22, 2024
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आइये इनसे सीखें!— रोजगार सृजन के लिए विमल मलासी का ‘चेज हिमालय माॅडल’, पहाड़ की कंदराओं में दिखलाई स्वरोजगार की राह…।

ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
पूरे देश में हर दिन युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सीमित होते जा रहे हैं। ऐसे में हमारे बीच कई ऐसे युवा भी है जिनके बुलंद होंसलो से लोगों को सीख लेने की जरूरत है। ऐसे ही एक युवा है मायापुर (पीपलकोटी) के विमल मलासी। आज रोजगार सृजन के लिए विमल मलासी का ‘चेज हिमालय माॅडल’ युवाओं के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है। विमल का अपनी माटी, थाती और पहाड़ से ऐसा लगाव था की पहाड़ की इन्हीं वीरान कंदराओं में उन्होंने ट्रेकिंग के जरिए स्वरोजगार की नयी मिशाल पेश की है।

— संघर्षमय रहा जीवन!

बहुमुखी प्रतिभा के धनी विमल मलासी मूल रूप से जनपद चमोली के मायापुर (पीपलकोटी)के रहने वाले है। विमल मलासी का जीवन बेहद संघर्षमय रहा। बचपन से ही कुछ अलग करने की ललक उनके मन मस्तिष्क में घर गई थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद लंबे समय तक कम्प्यूटर के क्षेत्र में कार्य किया। तत्पश्चात विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिये सामाजिक सरोकारों से जुड़ गये। लेकिन मन ही मन कुछ अलग करने की धुन सवार थी।

— रुद्रनाथ की पगडंडीयों नें दिखलाई राह, भाई नें 10 हजार की मदद कर दिलाया भरोसा…।

2008 में विमल मलासी अपने दोस्तों के साथ चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के दर्शन के लिए गये थे। इस दौरान रुद्रनाथ की हांफती चढ़ाई और पगडंडीयों नें उन्हें एक आईडिया दिया की यदि लोगो को इन पहाडों की सैर कराई जाय तो इससे न केवल घूमने का मौका मिलेगा अपितु रोजगार भी। इस दौरान विमल नें अपने दोस्तों के संग इस पर परिचर्चा की और 2017 में इस विचार को मूर्त रूप दिया गया। इसमें सबसे अहम् भूमिका विमल के भाई नें निभाई, जिन्होंने विमल को 10 हजार की मदद की और हौंसला और भरोसा दिलाया। भाई से मिले प्रोत्साहन नें विमल की उम्मीदों को पंख लगायें। विमल नें ट्रैकिंग का कार्य शुरू कर दिया। 10 हजार से शुरू हुआ विमल का ये सफर अब अपनी मंजिल की ओर तेजी से दौड़ पडा है। आज विमल के पास ट्रैकिंग के लगभग 4 लाख का खुद का सामान है। भाई द्वारा किये गये 10 हजार की मदद को वो 15-19 जून को मद्दमहेश्वर की ट्रैकिंग करवाकर पूरा करेंगे ताकि भाई की मदद लौटाई जा सके।

— 3 सालों में 300 लोगों को ट्रैकिंग, इन जगहों पर कराते हैं ट्रैकिंग!

विमल मलासी चेज हिमालय के जरिये तीन सालों में लगभग 300 लोगों को हिमालय की सैर करवा चुके है जिससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी हुई है। वे पर्यटकों को पंच केदार, पंच बदरी, फूलों की घाटी, हेमकुंड, स्वर्गारोहणी, कुंवारी पास, लार्ड कर्ज़न रोड, द्रोणागिरी, दयारा बुग्याल, पंवालीकांठा, पिंडारी ग्लेशियर, कागभूषंडी ताल, देवरियाताल, चोपता, तुंगनाथ, रूपकुंड, घुत्तु सहित दर्जनों ट्रैक की सैर करा चुके हैं। वर्तमान में चेज हिमालय के जरिये विमल पांच लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार दे रहें हैं जबकि अपने हर ट्रैक के दौरान विमल स्थानीय गाइडों से लेकर पोर्टरो, गाडी वालो, घोडे-खच्चरो से लेकर कई स्थानीय लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिलाते है।

— रोजगार के बदले हिमालय को स्वच्छ और सुन्दर रखने की शपथ!

विमल मलासी चेज हिमालय के जरिये पहाड़ों की वीरान कंदराओं से रोजगार की मशाल तो जगा रहे हैं वहीं इसके बदले उन्होंने हिमालय को स्वच्छ और सुन्दर रखने की शपथ ली हुई है। वे जब भी अपने ग्रुप के साथ ट्रैकिंग पर जातें हैं तो वहां की साफ सफाई का बहुत ख्याल रखते हैं। उन्हें ट्रैक पर जो भी कचरा मिलता है अपने बैग में उठाकर लाते हैं। कई मर्तबा वे ट्रैक पर आये लोगों से वृक्षारोपण भी कराते हैं। साथ ही उन्हें हिमालय को स्वच्छ और सुन्दर रखने की शपथ भी दिलाते हैं। पहाडों में रोजगार को लेकर चेज हिमालय के प्रबंधक विमल मलासी से लंबी गुफ्तगु हुई। बकौल विमल मलासी, पहाडों में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। उत्तराखंड में ट्रैकिंग व्यवसाय आज हजारों लोगों को रोजगार दे रहा है। परंतु राज्य बनने के 19 साल बाद भी हमारे पास कोई ठोस नीति नहीं है। यदि एक सुनियोजित तरीके और दीर्घकालीन सोच के तहत ट्रैकिंग को प्रोत्साहित किया जाय तो इससे लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। सरकार को चाहिए की ट्रैकिंग को हर स्तर पर बढ़ावा दिया जाय। इससे न केवल पहाडों से पलायन रूकेगा, अपितु रिवर्स माइग्रेशन की उम्मीदों को भी पंख लगेंगे।

वास्तव मे देखा जाय तो उत्तराखंड में ट्रैकिंग के क्षेत्र मे रोजगार की असीमित संभावनाएँ हैं। विमल मलासी के चेज हिमालय माॅडल से हमें भी सीख लेने की आवश्यकता है। जो युवा पांच-दस हजार रूपये की नौकरी के लिए दिल्ली, मुंबई की ओर जा रहे हैं उन्हें विमल मलासी से सीख लेने की दरकरार है। यदि आप भी पहाडो में ट्रैकिंग करना चाहते हैं तो विमल मलासी के साथ ट्रैक कर सकते हैं।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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