अमेरिका से नौकरी छोड़ गांव आई, सरपंच बनी भक्ति शर्मा और देश की 100 प्रभावशाली महिलाओं में बनाई जगह ।
(वरिष्ठ पत्रकार विजेंद्र रावत की कलम से)
मध्य प्रदेश के भोपाल जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर बरखेड़ी अब्दुल्ला ग्राम पंचायत है। इस पंचायत की सरपंच है 28 वर्षीय भक्ति शर्मा। भक्ति के सरपंच बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। ये अमेरिका के टेक्सास मे अच्छी खासी नौकरी कर रही थी, जब गांव आई तो वहां सरपंच के चुनावो की तैयारी चल रही थी। चूंकि सीट महिला के लिए आरक्षित थी तो लोगों ने अपनी सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी गांव की बेटी भक्ति को सरपंच बनाने के लिए भक्ति व उनके पिता से इस बारे मे बात की। और चुनाव जीतकर भक्ति ने भी खुद को साबित कर दिया।
अपने काम की बदौलत 2016 मे भक्ति देश की 100 लोकप्रिय महिलाओं मे शामिल की गई तथा देश के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। भक्ति वर्तमान मे मध्य प्रदेश राज्य मे यूथ आइकन का प्रमुख चेहरा है।
सरपंच बनते ही सबसे पहला काम उन्होंने गांव में हर बेटी के जन्म पर 10 पौधे लगाना और उनकी माँ को अपनी दो महीने की तनख्वाह देने का फैसला लेकर किया।
भक्ति के सरपंच बनने के बाद ग्राम पंचायत बरखेड़ी के हर किसान को उसका मुआवजा मिला। साथ ही हर ग्रामीण का राशनकार्ड, बैंक अकाउंट, मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाया तथा गांव मे 113 लोगों की पेंशन भी शुरू करवाई। इस समय पंचायत का कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं है। महीने में दो से तीन बार फ्री में हेल्थ कैम्प लगता है।
सबकी राय से तय होते है विकास के काम
ग्राम पंचायत का कोई भी काम भक्ति अपनी मर्जी से नहीं करती हैं। गांव के विकास का खाका ग्राम सभा मे सबकी राय लेकर तैयार होता है। जब ये सरपंच बनी थीं तो इस पंचायत में महज नौ शौचालय थे अभी ये पंचायत ओडीएफ यानि खुले में शौच से मुक्त हो चुकी है।
महिलाओ पर ख़ास ध्यान
पंचायत की हर महिला निडर होकर रात के 12 बजे भी अपनी पंचायत में निकल सके भक्ति शर्मा की ऐसी कोशिश है। भक्ति का कहना है कि पंचायत की हर बैठक में महिलाएं ज्यादा शामिल हों ये मैंने पहली बैठक से ही शुरू किया। मिड डे मील समिति में आठ महिलाएं है। महिलाओं की भागीदारी पंचायत के कामों में ज्यादा से ज्यादा रहे जिससे उनकी जानकारी बढ़े और वो अपने आप को सशक्त महसूस करें