पौड़ी 22 जून 2019 (हि. डिस्कवर)
अपने पैतृक गांव बनेलस्यूँ घीड़ी पहुंचे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल (डोभाल) जहां एक ओर सपरिवार अपनी कुलदेवी की पूजा की वहीं उन्होंने अपनी कमाई से मंदिर निर्माण हेतु डेढ़ लाख रुपये की राशि ग्रामीणों को सौंपी। यह आश्चर्यजनक था कि इतने बर्ष प्रवासी रहने के बावजूद भी अजित डोवाल ने न अपनी थाती माटी के रस्मों रिवाज भुलाए और न ही अपनी बोली भाषा। वह हर किसी से गढवाळी में बात कर रहे थे।
ज्ञात हो कि अजित डोभाल पांच साल बाद अपने परिवार के साथ एक बार फिर से उत्तराखंड स्थित अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे, इससे पहले वे तब गांव अपनी कुलदेवी की पूजा करने आये थे जब वे पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किये गए थे। ग्रामीणों ने उनका ढोल-दमाऊ के साथ भव्य स्वागत किया।
अपने गांव घीड़ी पहुंचकर जहाँ एक ओर उन्होंने अपने बुर्जगों का आशीर्वाद लिया वहीं दूसरी ओर उन्होंने गांव के लोगों से अपनी संस्कृति अपनी परंपराओं और अपनी रीति-रिवाजों को बचाए रखने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि हमें गांव के विकास कार्यों का सृजन करना होगा ताकि युवा रोजगार सके।
जितनी देर वे गांव में रहे उन्होंने अपनी भाषा गढ़वाली में बात की,अपनी संस्कृति और अपने लोक परिवेश के प्रति डोभाल जी का लगाव हमें बताता हैं कि हम दुनिया में कहीं भी रहे। हमें अपनी माटी के महक को नहीं भूलना चाहिए। अपनी भाषा-बोली को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए। सही अर्थों में यही हमारा पहाड़ होने का अर्थ है।