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संविधान भारतीय लोकतंत्र की आत्मा-राज्यपाल

राजभवन देहरादून 26 नवम्बर, 2019
राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने राजभवन सभागार में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि संविधान भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है और इसकी समस्त शक्तियों का स्रोत भी है। हमारा संविधान जाति, वर्ग, धर्म और लिंग, हर भेद से परे, सभी को अवसर एवं जीवन की समानता का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त और 26 जनवरी की तरह आज 26 नवम्बर का दिन भी देश के जनमानस के लिये पवित्र और पूजनीय दिवस है। 70 वर्षो से भारतीय संविधान ने बार-बार अपनी श्रेष्ठता एवं अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है।

भारतीय संविधान में हमारे संविधान निर्माताओं की दूर-दृष्टि का समावेश है। यह सोचें कि कैसे 70 वर्ष पूर्व भी उन्होने इतने बड़े देश को दिशा दिखाने वाले ग्रन्थ की रचना की होगी तो मन श्रद्धा से भर जाता है। राज्यपाल ने कहा कि  संविधान निर्माता बाबा साहब डा0 बी0आर0 आंबेडकर ने कहा था कि संविधान सिर्फ वकीलों का दस्तावेज नहीं है बल्कि यह जीवन-साधना है और इसकी भावना युग की भावना है। उन्होंने प्रथम राष्ट्रपति डा0 राजेन्द्र प्रसाद एवं डा0 आंबेडकर सहित सभी संविधान निर्माताओं को नमन किया।    

राज्यपाल ने कहा कि संविधान हमें हमारे मूल अधिकार देता है लेकिन इनके साथ ही संविधान हमें हमारे मूल कत्र्तव्यो की शिक्षा भी देता है। भारत वर्ष की एकता अखण्डता सुनिश्चित करने तथा इसे विश्व गुरू की पदवी पर आसीन करने के लिये हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ मूल कत्र्तव्यो के प्रति भी सचेत रहना होगा। सभी मूल कत्र्तव्यों का पालन करना भारत के समस्त नागरिको का सर्वोच्च धर्म होना चाहिये। राज्यपाल ने कहा कि समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास और बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना भी हमारे मूल कर्तब्यों में शामिल है। राज्यपाल ने संविधान की उद्देशिका का पाठ किया जिसे सभागार में उपस्थित लोगों ने दोहराया। राज्यपाल ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के चित्रों पर माल्यार्पण भी  किया। 

 सचिव राज्यपाल रमेश कुमार सुधांशु ने कहा कि हमारा संविधान समता का विधान है। भारत के लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक शामिल है। संविधान की प्रस्तावना सटीक है जिसमें संविधान का सार है। हमें अपने अधिकारों के साथ ही कर्तव्यों को भी महत्व देना चाहिये।       

इस अवसर पर विधि परामर्शी राज्यपाल श्रीमती कहंकशां खान ने कहा कि भारत के संविधान में दुनिया के सभी संविधानों की अच्छी बाते हैं। नागरिकों को अपने अधिकारों के साथ ही मूल कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होना चाहिये। जहां हमारे अधिकार समाप्त होते हैं वहीं से हमारे कर्तव्य शुरू होते हैं। यदि हमें बोलने की स्वन्त्रता है तो दूसरों को धैर्यपूर्वक सुनना भी हमारा कर्तव्य हैं। अधिकार एवं कर्तव्य एक दूसरे के पूरक हैं। स्त्रियों का सम्मान व समाज में सौहार्द बनाए रखना भी मूल कर्तव्यों में है। हमें अपने मूल कर्तव्यों को मूल अधिकारों की तरह आत्मसात करना होगा। संसद ने मूल कर्तव्यों से प्रेरणा लेते हुए अनेक कानून भी बनाये हैं।             

इस अवसर पर विधायक देशराज कर्णवाल एवं सचिव राज्यपाल रमेश कुमार सुधांशु सहित राजभवन के अधिकारी, कर्मचारी एवं अन्य अतिथि उपस्थित थे। 

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