Saturday, July 27, 2024
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राज्य की समस्याओं और चुनौतियों पर शोध किया जाय- राज्यपाल।

राजभवन देहरादून, 11फरवरी, 2020 (हि. डिस्कवर)

राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उत्तराखण्ड को उत्कृष्ट व प्रगतिशील राज्य बनाने में शोधार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। शोधार्थियों को उत्तराखण्ड की स्थानीय समस्याओं व चुनौतियों पर अधिक से अधिक शोध करने होंगे। पलायन, पर्वतीय व जैविक कृषि, महिला सशक्तीकरण, लोक संस्कृति, लोक परम्पराओं, लोकभाषाओं व राज्य के अन्य अनछुऐ पहलुओं पर शोध किया जाना चाहिये। राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने राजभवन में राज्य के पांच शोधार्थियों को उत्कृष्ट शोध कार्यों हेतु गवर्नर्स रिसर्च अवार्ड 2019 प्रदान किये।    

राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे शोध कार्य होने चाहियें जिनका समाज को सीधा लाभ मिल सके। रिसर्च को अब ‘‘लैब टू लैण्ड’’ यानी प्रयोगशालाओं से वास्तविक जमीन तक पहुँचाने की आवश्यकता है। रिसर्च करने वालों का मूल लक्ष्य यह होना चाहिये कि कैसे किसानों की आमदनी बढ़ सके, उद्योगों को कम लागत में अच्छा उत्पादन करने में सहायता प्राप्त हो, आम व्यक्ति को जीवन में सहूलियत मिल सके।

राज्यपाल ने कहा कि शोध कार्यों की गुणवत्ता और शुचिता बनाये रखना बहुत आवश्यक है। हमें ऐसा तंत्र विकसित करना होगा कि विदेशी वैज्ञानिक और समाजशास्त्री हमारे विश्वविद्यालयों में शोध करने के लिये इच्छुक हों। 

सचिव राज्यपाल, रमेश कुमार सुधांशु ने कहा कि शोधार्थियों द्वारा ई-वेस्ट व पलायन पर किये गये शोध कार्य राज्य के लिये महत्वपूर्ण हैं। न्यू ई वेस्ट पाॅलिसी में शोधार्थियों के सुझावों को शामिल किया जायेगा। हमें समस्याओं के त्वरित समाधान के स्थान पर स्थायी समाधान खोजने के लिये गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों को प्रोत्साहित करना होगा।    इस अवसर पर पुरस्कार स्क्रूटनी कमेटी के अध्यक्ष व जी0बी0 पन्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 तेजप्रताप ने कहा कि राज्य में शोध कार्यों व नवाचारों को प्रोत्साहित करने में गवर्नर्स रिसर्च अवार्ड प्रेरणा का कार्य कर रहे हैं।  

हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 हेमचन्द ने कहा कि समाज व देश के विकास व प्रगति में गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों का महत्वपूर्ण योगदान है। विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में प्रथम पुरस्कार सुश्री रिचा चन्देल को दिया गया। सुश्री चन्देल ने डाइवर्सिटी एन्टीना (Tapered Fed Compact UWB MIMO-Diversity Antenna with Dual Band-Notched Charecteristic)  विषय पर जी.बी.पंत इंस्टीट्यूट आॅफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नाॅलाॅजी पौड़ी से शोध किया। इसी श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार श्री ए0ई0 काते को प्रदान किया गया जिन्होंने  अखरोट उत्पादन से संबंधित विषय (Development and Testing of apricot pit decorticator) पर प्रौद्योगिकी महाविद्यालय पंतनगर से शोध कार्य किया।

इसी श्रेणी में तृतीय पुरस्कार डा0 प्रसन्नजीत देबबर्मा तथा डा0 सौरभ गंगोला को प्रदान किया गया। डा0 प्रसन्नजीत देबबर्मा के शोध का विषय ई-वेस्ट (Selection of potential bacterial strains to develop bacterial consortia for the remediation of e-waste and its in situ implications) है और डा0 सौरभ गंगोला के शोध का विषय साइपरमेथरिन रसायन का बायोडिग्रेडेशन (Presence of esterase and laccase in Bacillus subtilis facilitates biodegradation and detoxification of cypermethrin) है। दोनों ने ही विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय पंतनगर से शोध किया है। सामाजिक विषयों के क्षेत्र का पुरस्कार सुश्री नियति नौडियाल को प्रदान किया गया है। जिन्होंने पर्वतीय कृषि और पलायन पर शोध किया। 

उनके शोध का विषय ( the future of mountain agriculture amidst continual farm-exit, livelihood diversification and outmigration in the central Himalayan Villages) है। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार हेतु क्रमशः 50 हजार, 30 हजार तथा 20 हजार रूपये की धनराशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। सामाजिक विषय में पुरस्कार हेेतु 30000 रूपये तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इस वर्ष 03 कुलपतियों की स्क्रूटनी कमेटी ने पुरस्कारों का निर्णय किया। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने सामाजिक विषयों तथा लोक भाषा के क्षेत्र में दो नये पुरस्कार जोड़ने की घोषणा की थी। इस वर्ष विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में 18 तथा सामाजिक विषय में एक वैध शोध पत्र प्राप्त हुआ। लोकभाषाओं में कोई शोध पत्र प्राप्त नही हो पाया। इस अवसर पर राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपति, शोधार्थी व अन्य विद्यार्थीगण उपस्थित थे।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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