नैनीताल/देहरादून 15 जनवरी 2020 (हि. डिस्कवर)!
लगभग एक माह 23 दिन जेल की सलाखों के पीछे रखे गए पर्वतजन के सम्पादक व उत्तराखण्ड वेब मीडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल को आखिरकार हाइकोर्ट से जमानत मिल ही गयी।
सूत्रों की माने तो उनका कसूर यह था कि उन्होंने एक समाचार चैनल को मात्र चार माह के अंदर ही सरकारी विज्ञापन देने की खबर प्रमुखता से छाप दी थी जिसका तार कहीं न कहीं सरकारी सिस्टम से जुड़ा बताया जा रहा था। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि उन्हें गिरफ्तार करवाने में कुछ पत्रकारों ने भी खूब फील्डिंग जमाई और रंगदारी जैसे प्रकरण में उन्हें गिरफ्तार करवाया गया। सूत्र कितना सही कह रहे हैं यह तो कहना सम्भव नहीं है लेकिन इतना कहीं न कहीं झोल जरूर है कि शिव प्रसाद सेमवाल को गिरफ्तार करवाकर पत्रकारिता जगत में यह सन्देश देने की जरूर कोशिश की गई है कि जब चाहे जैसा चाहें किया जा सकता है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रंगदारी और ब्लैक मेलिंग के आरोप में जेल गए पर्वतजन न्यूज पोर्टल के सम्पादक शिवप्रसाद सेमवाल की जमानत याचिका स्वीकार कर ली है।
दिग्गज पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल गिरफ्तारी मामले में आज उच्च न्यायालय में जमानत याचिका पर आज सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति एन.एस. धनिक की एकलपीठ में हुई। मामले के अनुसार बीती 27 अक्टूबर 2019 को नीरज राजपूत ने अमित पाल और शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ देहरादून के सहसपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
शिकायतकर्ता ने कहा था की शिव प्रसाद सेमवाल और अमित पाल ने खबर प्रकाशित करके उनकी राजनैतिक छवि को धूमिल करने और ब्लैक मेलिंग करने का प्रयास किया। इससे उनकी राजनैतिक छवि धूमिल भी हुई। बीती 22 नवंबर को देहरादून की नेहरू कॉलोनी स्थित आवास से शिव प्रसाद सेमवाल को गिरफ्तार किया गया था। सुनवाई के दौरान शिव प्रसाद सेमवाल के वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व महाधिवक्ता वी.बी.एस. नेगी ने न्यायालय को बताया की शिव प्रसाद को साजिशन फंसाया गया है। उन्होंने कभी किसी को ब्लैकमेल नहीं किया और उन्होंने किसी से भी रंगदारी वसूल नहीं की, बल्कि उन्होंने निष्पक्ष पत्रकारिता की। अधिवक्ता ने एकलपीठ को बताया की निष्पक्ष पत्रकारिता करने की वजह से ही उन्हें यह सजा दी गई है ।