Friday, December 13, 2024
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छैs छंछडौ कु एक गदनु।

छैs छंछडौ कु एक गदनु।

(मनोज इष्टवाल) गौंs व्हा अर गौंs का लोक समाज का दगडा – दगडी रंचीं-बसीं प्रकृति कि कथा -व्यथा नि ह्वे त ऊ गौंs कख बुले जै सकेंद। अर जब छुईं लगन्दरी गिच्ची म खुद माँ सरसुति बैठी हो त हुंगरेर भि एकटक्या, एक्सेर सी कथा सुणदरा सी बण्या रन्दन। अर अगर इनि कथा -व्यथा गौ समाज की सोशल प्लेटफॉर्म म ऐ जौ त रंगत ही न रस्याण भि ऐ जांद।
लोक साहित्य का मर्मज्ञ विद्वान डॉ नन्द किशोर हटवाल अजक्याल चमोली गढ़वाल म अपणा पैतृक गौंs गयां छन। बग्वाल छई त सुभाविक छ ऊँको गौ जाणु। संस्कृतिधर्मी व्यक्तित्व हो त गौंs कि खुद नि लगी इनु कनमा ह्वे सकदो। देहरादून त यना लोखुँ का वास्ता रैन बसेरा जनो समझा। मजबूरी छ रोजी रवटी गफ्फा-गाs का बान त आण ही पोडदो प्रदेश। अर प्रदेश नि आंदा त हमथैंन कन्मा पता चलदो कि ऊँका गौंs का ग़दन म छैs छंछडौकि अपणी आत्मकथा छ।

य बात जब अपणा गौंs तपोण, पोस्ट लंगसी, विकास खंड जोशीमठ चमोली गढ़वाल की तपोण ग़दरा की डॉ नंद किशोर हटवाल कर्दन त व्हेकि रस्याण व लोकप्रियता म चार चाँद लग जंदन। डॉ नंद किशोर हटवाल ईं गाड़ (ग़दन, गदनि, गदरा, गदेरी, पहाड़ी छोटी नदी) का बारम लिखदन कि य गाड़ ठेठ ऐंछ हिंवली कांठयूँ म बस्यां मनपाई बुग्याळ भट्टी निकळद। ‘क्यमकूड़’ नौ से प्रसिद्ध जगा भट्टी यु ग़दरा का रूप म प्रकट होंद। वख भट्टी द्वि गाँs किमाणा अर जखोला का बीचोंबीच बौगीकी यु तौळ क्वीस्यौर म नागफणी का पाणी म मिलदू। यख येकु नौ घटि गदरा छ। सैद घट्टी ग़दरा नौ इलैकी पोड़ी होलो कि यु द्वि चट्टान का बीच बोगदो।

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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