Saturday, July 27, 2024
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क्या आप जानते हैं कि पूरे विश्व में शिब के दो ही सिद्ध पीठ …!

क्या आप जानते हैं कि पूरे विश्व में शिब के दो ही सिद्ध पीठ …!

(मनोज इष्टवाल)

कभी -कभी अतीत के पन्ने पलटते समय आप उस शून्य में चले जाते हैं जहां से सृष्टि बोध की कल्पनाएं आपको अध्यात्म व गुरु ध्यान ध्यान की ओर अग्रसर करती नजर आती हैं। कहाँ हमारी चर्चा का बिषय तब पहले गढ़वाली अखबार पर केंद्रित था और कहां पंख लगकर वह पौड़ी किंकालेश्वर जा उड़ी। अक्स एक ऐसा चेहरे के आगे तैर उठा जिनकी मौत की खबर होने के बाबजूद भी एक माह की पूजा बंदिश के चलते उनके दर्शन करने भी नहीं जा सका ।

हम जब बातों-बातों में पौड़ी पहुंचे तब एक पुस्तक विश्व दर्शन पर चर्चा होने लगी। तब बेहद हैरत हुई थी जब बातों-बातों में वरिष्ठ पत्रकार व कवि चारु चंद चंदोला और मैं विश्व दर्शन ( विश्वप्रकाश थपलियाल के पिता जी द्वारा लिखी गई पुस्तक) पर चर्चा करते करते केदारखंड पर चर्चा करने लगे।
स्व. चारु चंद चंदोला जी ने जब केदार खंड के प्रकाशन से लेकर केदारखंड से सम्बन्धित कई विषयों पर मुझे जानकारी दी तो मैं हतप्रभ रह गया उन्होंने बताया कि केदारखंड का प्रकाशन मुंबई की वेंकटेश प्रिंटिंग प्रेस में मुद्रण हुआ जिसके प्रकाशक गोबिंद प्रसाद नौटियाल (महेश्वरानंद एंड संस) नंदप्रयाग के सुप्रसिद्ध शिलाजीत निर्माता हुआ करते थे। 
केदारखंड स्कन्दपुराण का ही एक अंश कहा जाता है जिसमें शिब के पूरे विश्व में सिर्फ दो सिद्धपीठों का वर्णन है। पहला उज्जैन और दूसरा किन्कालेश्वर (पौड़ी)..!
कहते हैं किन्कालेश्वर पौड़ी में यमराज ने वर्तासुर राक्षस के भय से मुक्ति दिलाने हेतु शिब की तपस्या की थी। कीनाश पर्वत के केम्बकारा (क्युन्कला/किन्कालेश्वर) में शिब ने जब यम राज को दर्शन दिए तब यमराज ने उन्हें सदैव किन्कालेश्वर में विराजमान रहने को कहा। यम के साथ उनके दो किंकर एक बैजाड़ और दूसरा उजाड़ भी थे। बैजाड़ के निवास स्थल को बैंज्वाडी (इडवालस्यूं) और उजाड़ के निवास स्थल को उज्याड़ी (गगवाड़स्यूं) कालांतर में पुकारा जाने लगा। केदारखंड में किन्कालेश्वर से पूरे क्षेत्र और प्रसिद्ध धामों की दूरी कोसों में चिन्हित है।
मित्रों मैं स्वयं पौड़ी का ही हूँ और मेरी तरह ही पौड़ी के शायद कोई दुर्लभ व्यक्ति ही यह जानता हो कि किन्कालेश्वर धाम शिब का ऐसा भव्य सिद्धपीठ है।

(श्रधेय स्व. चारु चन्द चन्दोला जी को समर्पित)

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35 बर्षों से पत्रकारिता के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक, पर्यटन, धर्म-संस्कृति सहित तमाम उन मुद्दों को बेबाकी से उठाना जो विश्व भर में लोक समाज, लोक संस्कृति व आम जनमानस के लिए लाभप्रद हो व हर उस सकारात्मक पहलु की बात करना जो सर्व जन सुखाय: सर्व जन हिताय हो.
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