क्या आप जानते हैं कि जनेऊ संस्कार में 96 हजार मन्त्र होते हैं।
(मनोज इष्टवाल)
हर सूतक पर जहां जनेऊ खण्डित माना जाता है वहीं हर जनेऊ धारण करते वक्त सिर्फ एक मंत्रोचारण के माध्यम से जनेऊ धारण किया जाता है लेकिन क्या हम जानते हैं कि जनेऊ बनाने के लिए ब्राह्मण को कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
ब्राह्मणों द्वारा त्रिसूत धागा पहले बेहद सावधानी से बनाया जाता है तदोपरान्त हाथ की चार अंगुलियों पर उसे 96 बार लपेटा जाता है। इस दौरान अगर किसी धागे पर गांठ पड़ गयी तो वह जनेऊ खण्डित माना जाता है। चार अंगुलियों के बीच 96 बार लपेटे गए जनेऊ को ही पूर्ण जनेऊ समझा जाता है। तदोपरांत जनेऊ का वर्गीकरण तीन लड़ी, छ: लड़ी या नौ लड़ी के रूप में किया जाता है।
माना जाता है कि एक जनेऊ में कर्मकांङ के 16 हजार मंत्र जबकि 18 पुराणों में वर्णित 80 हजार मंत्र मिलाकर कुल 96 हजार मंत्र समावित होते हैं। जो आयु, ऐश्वर्य, आरोग्य वर्द्धक माने जाते हैं।