* महाबगढ़ की सुनहरी घास में ट्रैक कर आत्ममुग्ध हुए पर्यटक।
(मनोज इष्टवाल)
दिन ऐन मकर संक्रांति सूर्य भगवान उत्तरायण क्या हुए कि वैदिक कालीन मालिनी नदी के एक छोर थल नदी का लगभग 150 बर्ष पुराना गेंद मेला आरम्भ हो गया, जहाँ पहुँच विदेशी पर्यटक गढ़वाली गीतों पर जमकर थिरके। ज्ञात हो कि इस दिन सूर्य भगवान धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में गोचर का प्रतीक है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और सर्दी घटना शुरू हो जाती है। वहीं मकर संक्रांति के बाद दिन बड़े होने लगते हैं और उत्तरायण की यह अवधि लगभग छह महीने तक रहती है।
ये तो था मकर संक्रांति पर्व का अपडेट…। लेकिन मेरे लिए तो यह पर्व उत्सव के समान हुआ क्यो मालिनी घाटी की सुरम्य वादियों घाटियों और पगडंडियों में सुनहरी घास के बीच विचरण करने पहुँचे फ़्रांस, इस्ताम्बुल, इटली, स्पेन, माल्टा, यूके, पुर्तगाल, बेल्जियम, साउथ अफ्रीका, ग्रीस इत्यादि देशों से लगभग ढाई दर्जन विदेशी ऋषि कण्व, विश्वामित्र, कश्यप सहित सप्त ऋषि मंडल की उस वैदिक कालीन घाटी में ट्रैकिंग करने पहुँचे जिस घाटी ने जाने इन हजारों – हजार बर्षों में कितने रूप भूस्खलन सहित अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने में बदल दिये होंगे। यह सब मेरे लिए इसलिए पर्व के समान हुआ क्योंकि पर्यटन के लिहाज से यह घाटी अब सरसब्ज होने लगी है, जिस पर मैं विगत 30 बर्षों से लगातार शोध कर उसकी धूल-माटी, कंकण – पत्थर, अपभ्रंश लोक संस्कृति के कण -कण तृण-तृण पर गहराई से अध्ययन कर रहा हूँ।
इस टीम को इस घाटी की जानकारी मेरे (मनोज इष्टवाल) द्वारा सोशल साइट पर लिखे गए लेखों से प्राप्त हुई जिसकी प्रतिलिपि इन्होने इंटरनेट से निकाल अपने पास संभाल कर रखी थी। यह आश्चर्य की बात है कि इन्हें रिसोर्स पर्सन के रूप में हमारे अभिन्न मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सजवाण मिल गए जिन्हें किसी के माध्यम से इन्होने तलाशा व अमित सजवाण इन्हें मालिनी नदी घाटी क्षेत्र की उतुंग शिखरों की सैर करवाकर अपने गाँव कांडी-कश्याली क्षेत्र के थलनदी में जुटने वाले गेंद मेले में ले गए जहाँ ये सभी अंग्रेज जमकर थिरके।
अमित सजवाण बताते हैं कि स्थानीय लोग एक साथ इतने अंग्रेजों को देखकर हत्तप्रभ रह गए व पूरे मेले में ये लोग जहाँ भी जाते जमघट लग जाता। उन्होंने बताया कि मेले में इन्होने खूब जलेबी व रोटाना लोगों ने मुफ्त खिलाये और फिर ख़ुशी – ख़ुशी विदा किया।
अधिवक्ता सजवाण जानकारी देते हैं कि पहले दिन उन्होंने ट्विन्स वैली के संचालक प्रशांत बडोनी जी से बात की और सारी जानकारी साझा की। ट्विन्स वैली में स्वागत सत्कार के पश्चात् नाश्ता कर पूरी टीम ने सुनहरी घास की पगडंडी वाले ग्रामीण रास्ते से ट्रैकिंग कर उतुंग हिमालय के दर्शन किये व ट्रैकिंग के दौरान उन्होने स्वयं इन लोगों को मालिनी के दूसरे छोर पर स्थित शून्य शिखर, चरक ऋषि का चरेक, मालिनी नदी का उदगम चंडा पर्वत, किमसेरा, मलनिया, मयडा, भरतपुर सहित उन सभी स्थानों की जानकारी साझा की जो वैदिक काल से जुड़े हुए बताये जाते हैं।
अमित सजवाण बताते हैं कि ट्रैकिंग के बाद सब विदेशी मेहमान जब उनके साथ महाब गढ़ जा रहे थे तब स्थानीय बारात में बज रहे ढ़ोल बाजे के साथ इन्होने नृत्य भी किया और फोटो भी खींची। महाब गढ़ मंदिर में पूजा के पश्चात पंडित राजेंद्र केष्टवाल जी ने सभी टीम मेंबर्स को रुद्राश माला पहनाई।
बहरहाल, मालन नदी घाटी क्षेत्र में आने वाले इन विदेशियों में ब्रिस कैसिन्हास अर्नौल्ड व एलोड़ू अर्नौल्ड (फ़्रांस), इन्ना बॉयकॉ (उक्रेन),वैकेंस्लोव केएल मोकिन (इस्ताम्बुल), गॉर्मनी (इटली), जिओर्जिया करासो व माइकला डेबोनो (माल्टा), डब्लू एन ए मुरैनो (स्पेन), इव ब्रेनन व वेरोनिका पर्रा (युके ), अंद्रेसिया पेड्रेगल (पुर्तगाल), मिचेल्ले मेलिस व ग्लोशिया मेजनो (बेल्जियम), रे वेबर्टर (यूके), एरिन हॉर्न व अस्ले बेंनेट (दक्षिण अफ्रीका), पापाज़ोगोनो पौलो कालेनिआ (ग्रीस) आदि प्रमुख थे।