सैल्यूट! — रंग लाई हिमालय के अंतिम गांव वाण के मांझियों की मेहनत। लकड़ी का अस्थाई पुल आवाजाही को तैयार।
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान।
पहाड़ जैसे बुलंद हौंसलो की वजह से आखिरकार हिमालय के अंतिम गाँव और मां नंदा, लाटू की थाती वाण गाँव के मांझियों की मेहनत रंग लाई और क्षतिग्रस्त मोटर पुल की जगह ग्रामीणों नें आज पैदल आवाजाही के लिए लकड़ी का अस्थाई पुल तैयार कर दिया गया। बीते चार दिनों की मेहनत के उपरांत आज जाकर पुल तैयार हुआ। आज सुबह पुल बनाने के लिए वाण गाँव के सारे ग्रामीण गये थे। आधे दिन कार्य करने पर आवाजाही के लिए पुल तैयार हुआ दोपहर बाद बारिश आने पर सारे ग्रामीण वापस लौट आये। कल एक बार फिर सभी ग्रामीण पुल बनाने जायेंगे ताकि कोई कोर कसर न रह जाये।
आपको बताते चलें की सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाक के वाण गाँव में सडक अवरूद्ध होने से राशन, कैरोसिन, गैस, सब्जियों की आपूर्ति पूर्ण रूप से बंद हो गईं है। जिस कारण ग्रामीण बेहद चिंतित है। अभी बारिश का मौसम शुरू ही हुआ है ऐसे में आने वाले दिन बेहद मुश्किलों भरे हो सकते हैं। खासतौर पर बुजुर्गों, बीमार व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं को आपातकालीन स्थिति में अस्पताल ले जाना बेहद कठिनाइयों भरा हो सकता है। जिस कारण वैकल्पिक पुल बनाना बेहद जरूरी था। पहाड़ जैसे बुलंद हौंसले लिए वाण गाँव के ग्रामीणों नें दिन रात एक करके अस्थाई पुल बना डाला।
गौरतलब है कि भारी बारिश से सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाक को बहुत नुकसान हुआ। सड़क टूटने और पुल बह जाने से लाटू की थाती वाण गाँव अलग थलग पड गया है। गाँव को जोड़ने वाली वाण- लोहजंग पर बने दो पुल आपदा में बह गये है जबकि सड़क जगह जगह क्षतिग्रस्त हो गईं है। वहीं पैदल मार्ग भी दयनीय हालत में है। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे है।
सैल्यूट!— वाण गांव के मांझी!