पौड़ी 27 मई 2018 (हि. डिस्कवर)
विकास खंड पाबौं की पट्टी घुड़दौड़स्यूं के अंतर्गत पड़ने वाले गाँव “सरणा” की 10 बर्षीय बालिका मिताली उर्फ़ मिलन नेगी को नरभक्षी बाघ ने तब अपना शिकार बना लिया जब वह गाँव के पास ही खेतों कुदाल लिए वह खेल-खेल में गुड़ाई करने का प्रयत्न कर रही थी! मिताली ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया जबकि बाघ से संघर्ष करते हुए गाँव की दो महिलायें घायल हो गयी जिन्हें देर रात पौड़ी अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है!
दूरभाष पर सूचना देते हुए सरणा की अध्यापिका गौरी नेगी बताती हैं कि उन्हें भी अभी अभी फोन पर खबर मिली है ! मिताली उर्फ़ नीलम उनकी भतीजी हुयी जो उनके ताऊ महिताब सिंह नेगी की पौत्री व भाई विक्रम सिंह नेगी की पुत्री थी! गौरी नेगी ने बताया कि वह विकास खंड कल्जीखाल के अंतर्गत इंटर कालेज दयुसी में अध्यापिका है व आज ही अपने माँ-पिताजी के पास दिल्ली आई है! इस घटना से सारा परिवार बुरी तरह सदमे में है और उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा कि वे करें तो क्या करें!
गौरी नेगी से प्राप्त जानकारी के अनुसार गाँव की ही दो महिलायें श्रीमती बिमला देवी व श्रीमती विनीता देवी भी आस-पास ही थी, अचानक बाघ ने मिताली की गर्दन पर वार किया और एक झटके से अपने दांतों से उसकी गर्दन तोड़ डाली! गाँव की महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी व चिल्लाती हुई दोनों ही बाघ से भिड गई! बाघ से भिडंत में दोनों जख्मी तो हुई लेकिन बाघ को अंत में उनकी हिम्मत के आगे डरकर भागना पड़ा! जैसे तैसे गाँव वालों को जब खबर लगी तो जो जैसा था वैसे ही घटना स्थल की ओर भाग पड़ा लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और मिताली ने दम तोड़ दिए थे!
इस घटना से जहाँ क्षेत्र के लोगों का आक्रोश जंगलात के प्रति बढ़ गया है वहीँ मिताली उर्फ़ मिलन का पोस्टमार्टम करने जिला अस्पताल पौड़ी लाया गया साथ ही दोनों घायल महिलाओं को उपचार के लिए भर्ती कर दिया गया है! बेटी की मौत की खबर सुनकर उसकी माँ श्रीमती भुवनेश्वरी देवी सदमे में है क्योंकि मिताली उर्फ़ मिलन उनकी बड़ी पुत्री है जबकि उनकी एक और बेटी आठ बर्ष की है! मिताली पांचवीं कक्षा की होनहार छात्रा थी! उसके पिता बिक्रम सिंह नेगी पौड़ी पाबौं मार्ग पर मैक्स टैक्सी चलाकर जैसे तैसे अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं!
यह घटना वास्तव में बेहद दर्दनाक है जो पहाड़ के लिए अभिशाप की तरह लगभग हर बर्ष जाने कहाँ से आ जाती है! हर बर्ष कहीं न कहीं कोई गुलदार या बाघ नरभक्षी बन पहाड़ के जीवन को और कष्टप्रद बना देता है! वरिष्ठ पत्रकार अनिल बहुगुणा द्वारा पौड़ी अस्पताल में पहुंचकर इस समस्त घटना क्रम का वीडिओ बनाया गया जिसके बाद उन्होंने सोशल साईट पर एक बेहद कारुणिक संदेश पोस्ट करते हुए पहाड़ और पहाड़वासियों की दिनचर्या पर प्रश्न उठाते हुए लिखा:-
पहाड़ियों तुम्हारी नियति में मरना ही है ..चाहे तो सड़क में मर जाओ या फिर आपको संरक्षण में रखे गये जानवर जिंदा निगल जाये। पौड़ी जनपद के पाबौ ब्लाक में गुलदार ने 10 वर्षीय मासूम की जान गुलदार ने लेली उसने उस मासूम के गले को अपने दांतों से एक झटके में फाड़ डाला जो मासूम अपनी माँ के साथ खेती के ककहरे सीखने की कोशिश में थी। अभी दोपहर को ही तो वो स्कूल से उछलती कूदती घर पहुँची थी माँ को कहने लगी खेत में जाना है..खेत ही तो हमारे पेट भरते है उसे क्या पता था कि उसके शरीर का माँस दूसरों का भी पेट भर सकते है। माँ के साथ उछलती हुई खेत में जा पहुँची। कुदाल से ज़मी की छाती फ़ाड़ ही रही थी कि गुलदार ने उसकी गर्दन फ़ाड़ दी..मुँह से माँ का शब्द भी पूरा नहीं निकल पाया….खेत में माँ और 2 महिलाये उसे पर्यावरण के लिए जरूरी आदमखोर से छुड़ाने की जद्दोजहद में लग गई.. लेकिन बेटी माँ का पूरा शब्द बोलने से पहले शांत हो गई…वो गुलदार भी भाग गया….बेटी खेत से लिपट कर शांत हो गई..मनुष्य के बजाय वन्य जीव जरूरी है..आओ इन गुलदारों को संरक्षित करें.. अपने बच्चों की कीमत पर….!