1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरुआत 15 अक्तूबर 1582 में हुई थी। पहले नया साल कभी 25 मार्च को, तो कभी 25 दिसंबर को लोग मनाते थे। रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव कर दिया जिसके बाद जनवरी को साल पहला महीना माना गया। इससे पहले मार्च को साल का पहला महीना कहा जाता था।
आईए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी…
मार्च का नाम मार्स (mars) ग्रह पर रखा गया है। मार्स यानी मंगल ग्रह को रोम में लोग युद्ध का देवता मानते हैं। सबसे पहले जिस कैलेंडर को बनाया गया था उसमें सिर्फ 10 महीने होते थे। ऐसे में एक साल में 310 दिन होता था और 8 दिन का एक सप्ताह माना जाता था।
रोमन शासक जूलियस सीजर ने कैलेंडर में बदलाव किया। उसने ईसा पूर्व पहली शताब्दि में ही अपने ज्योतिष सोसिजिनीस की सहायता से कलेंडर बनवाया। सीजर ने ही 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की थी। जूलियस द्वारा कैलेंडर में बदलाव करने के बाद साल में 12 महीने कर दिए गए। जूलियस सीजर ने खगोलविदों से मुलाकात की, जिसके बाद पता चला कि धरती 365 दिन और छह घंटे में सूर्य की परिक्रमा करती है। इसको देखते हुए जूलियन कैलेंडर में साल में 365 दिन कर दिया गया।
पोप ग्रेगरी ने साल 1582 में जूलियन कैलेंडर में लीप ईयर को लेकर गलती खोजी थी। उस समय के मशहूर धर्म गुरू सेंट बीड ने बताया कि एक साल में 365 दिन, 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं। इसके बाद रोमन कैलेंडर में बदलाव किया गया और नया कैलेंडर बनाया गया। तब से ही 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा।
12 महीनों की उत्पत्ति/संरचना।
1- जनवरी = रोमन देवता जेनस के नाम से।
2- फरवरी =लेटिन भाषाई शब्द फैबरा से।
3- मार्च = रोम का देवता “मार्स”
4- अप्रैल = लेटिन शब्द स्पेरायर
5- मई = रोमन देवता “मइया”।
6- जून = लेटिन शब्द जेन्स
7- जुलाई = रोमन सम्राट ” जुलियट सीजर के उपनाम “जुला” से। इसी माह वह पैदा हुआ व यही माह उसकी मृत्य का भी है।
8- अगस्त = सीजर के भतीजे राजा आगस्टस सीजर के नाम।
9- सितम्बर = लेटिन शब्द सिप्टे से।
10- अक्टूबर = लेटिन शब्द ऑक्ट से
11- नवम्बर = लेटिन शब्द नोवेम्बर से
12- दिसम्बर = लेटिन शब्द डेसेम से।
इस कलेंडर को पहले रोम, अरब, यूनान ने अपनाया। ब्रिटिश राज में अंग्रेजों ने इसे विश्व भर के देशों तक फैलाया जबकि सत्य यह है कि धरती का सबसे पुरातन समय केंद्र उज्जैन रहा है।
हिन्दू नवबर्ष की शुरुआत यानि चैत्र प्रतिपदा शुक्ल पक्ष ।
1) इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2) सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3) प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4) शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
5) सिखों के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
6) स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।
7) सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
8) राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।
9) युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
2- बैशाख मास।
वैशाख हिन्दू सनातन धर्मानुकुल व भारतीय गणना शास्त्र परम्परा के अनुसार बर्ष का दूसरा माह है। इस माह को एक पवित्र माह के रूप में माना जाता है। जिनका संबंध देव अवतारों और धार्मिक परंपराओं से है। ऐसा माना जाता है कि इस माह के शुक्ल पक्ष को अक्षय तृतीय के दिन विष्णु अवतारों में नर-नारायण, परशुराम, नृसिंह और हृयग्रीव के अवतार हुआ और शुक्ल पक्ष की नवमी को देवी सीता धरती से प्रकट हुई। कुछ मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग की शुरुआत भी वैशाख माह से हुई। इस माह की पवित्रता और दिव्यता के कारण ही कालान्तर में वैशाख माह की तिथियों का सम्बंध लोक परंपराओं में अनेक देव मंदिरों के पट खोलने और महोत्सवों के मनाने के साथ जोड़ दिया। यही कारण है कि हिन्दू धर्म के चार धाम में से एक बद्रीनाथधाम के कपाट वैशाख माह की अक्षय तृतीया को खुलते हैं। इसी वैशाख के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को एक और हिन्दू तीर्थ धाम पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी निकलती है। वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या को देववृक्ष वट की पूजा की जाती है। यह भी माना जाता है कि भगवान बुद्ध की वैशाख पूजा ‘दत्थ गामणी’ (लगभग 100-77 ई. पू.) नामक व्यक्ति ने लंका में प्रारम्भ करायी थी।
3- जेष्ठ मास।
नाम से ही इंगित है कि यह महीना बड़ा मास कहा जाता है। ज्येष्ठ भारतीय काल गणना (हिन्दू पंचांग) के अनुसार मास का तीसरा माह है। यों तो अंतिम मास फागुन की विदाई के साथ ही गर्मी शुरू हो जाती है लेकिन इस माह तक पहुँचते-पहुंचते गर्मियां अपना रंग दिखाना शुरू कर देती हैं इसीलिए इस माह को गर्मी का महीना भी कहा जाता है।
4- आषाढ़ मास।